
श्री गुहेश्वर महादेव (उज्जैन)
📍 स्थान
यह मंदिर उज्जयिनी (उज्जैन) में स्थित है—विशेष रूप से रामघाट पर, पिशाच मुक्तेश्वर के पास, एक सुरंग के भीतर स्थित है
📖 पौराणिक कथा
- इस मंदिर से जुड़ी कथा ऋषि मंकणक से संबंधित है। वे वेद और वेदांग में पारंगत एक महायोगी थे, जो सिद्धि प्राप्ति के लिए तपस्या में लीन रहते थे
- एक दिन तपस्या करते समय इनके हाथ में कुश का कांटा लगा, लेकिन वहां से रक्त की जगह शाक रस बहने लगा। यह देख वे प्रसन्न हो गए और उनका अभिमान बढ़ गया। गर्व में नृत्य करते हुए उन्होंने अपनी सिद्धि को मनाया, जिससे जगत में हाहाकार मच गया—नदियाँ उल्टी बहने लगीं, ग्रहों की गति बिगड़ने लगी
- देवताओं और मनुष्यों की चिंता से, वे देवगुरु बृहस्पति के पास गए, जिन्होंने शिवजी से इस स्थिति की जानकारी दी। शिवजी ने स्वयं ऋषि के पास जाकर उन्हें समझाया—उनकी सिद्धि पर अभिमान करना सही नहीं और न ही गर्व का प्रदर्शन करना उचित है। इस विचार को दिखाते हुए शिवजी ने अपनी अंगुली से भस्म जारी किया
- लज्जित होकर ऋषि ने क्षमा मांगी और तपस्या बढ़ाने हेतु उपाय पूछा। तब शिवजी ने आशीर्वाद दिया और कहा कि वे महाकाल वन जाएँ, वहाँ सप्तकुल में उत्पन्न लिंग के दर्शन करें—उससे तप बढ़ेगा। ऋषि वहाँ गए, लिंग की पूजा-अर्चना की, जिससे वे सूर्य के समान तेजवान हो गए और दुर्लभ सिद्धियाँ प्राप्त कीं। बाद में यही लिंग गुहेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ
🏛️ महत्व
- ऐसा माना जाता है कि अहंकार का नाश इस लिंग के दर्शन एवं अर्चना से होता है।
- साथ ही दिव्य सिद्धियाँ प्राप्त करने की क्षमता जागृत होती है
- विशेष रूप से श्रावण मास, अष्टमी, और चौदस के दिनों में इस स्थान पर दर्शन एवं पूजा का विशेष महत्व माना जाता है