
श्री ढुंढेश्वर महादेव मंदिर
📍 स्थान
यह प्राचीन एवं पवित्र मंदिर उज्जैन के रामघाट पर, पिशाच मुक्तेश्वर के समीप स्थित है।
📖 पौराणिक कथा
- कैलाश पर्वत का गणनायक ढुंढ अत्यंत कामी और दुराचारी था। उसने इन्द्रलोक में नृत्य कर रही अप्सरा रंभा को पुष्प गुच्छ फेंककर व्यंग्य किया। इसके कारण इन्द्र ने उसे शाप दे दिया, जिससे वह मृत्युलोक में गिरकर बेहोश हो गया
- जब वह होश में आया, तो शाप से मुक्ति पाने हेतु उसने कई तीर्थों में तपस्या की, पर कोई सफलता नहीं मिली। तब उसे एक आकाशवाणी मिली—महाकाल वन में स्थित शिवलिंग के पास जाकर पूजा करें, जिससे शाप से मुक्ति संभव होगी
- ढुंढ ने पूरी श्रद्धा और समर्पण भाव से उस शिवलिंग की आराधना की। प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान एवं पापों की क्षमा प्रदान की। ढुंढ ने विनती की कि इस लिंग को उसके नाम से जाना जाए—तब से यह ढुंढेश्वर महादेव कहलाया
🏛️ महत्व
- मान्यता है कि ढुंढेश्वर महादेव के दर्शन और आराधना से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही खोई हुई प्रतिष्ठा (पद) भी वापस मिलती है
- इस मंदिर से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण मान्यता है—यदि कोई पूरे कार्तिक मास में शिप्रा में स्नान करता है पर ढुंढेश्वर महादेव का दर्शन नहीं करता, तो उसे कार्तिक स्नान का पुण्य प्राप्त नहीं होता
- शिवलिंग नागवेष्टित है, गर्भगृह में गणेश और पार्वती की मूर्तियाँ हैं, और नंदी की विशिष्ट (खड़े हुए) प्रतिमा भी यहाँ आकर्षण का केंद्र है