
श्री कुटुम्बकेश्वर महादेव (उज्जैन)
📍 स्थान
यह प्राचीन मंदिर उज्जैन के सिंहपुरी क्षेत्र में स्थित है और स्थानीय भक्तों के लिए महत्वपूर्ण आस्था स्थल है।
📖 पौराणिक कथा
- समुद्र मंथन से उत्पन्न विष से देवता, असुर और यक्ष भयभीत होकर महादेव के पास गए। भगवान शिव ने मोर का रूप धारण कर उस विष को अपने गले में धारण किया। विष के प्रभाव से वह लिंग विषमयी हो गया, जिससे वहाँ दर्शन करने वाला व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता। ब्राह्मणों के विनय पर भगवान शिव ने कहा कि लकुलीश वंश के ब्राह्मणों के आगमन के बाद यह लिंग स्पर्श योग्य एवं पूजनीय हो जाएगा और इसे "कुटुम्बेश्वर महादेव" के नाम से जाना जाएगा।
🏛️ महत्व
- यहाँ दर्शन करने से कुटुम्ब में वृद्धि होती है, रोगों से मुक्ति मिलती है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। रविवार, सोमवार, अष्टमी एवं चतुर्दशी को क्षिप्रा नदी में स्नान कर इस मंदिर के दर्शन करने से एक हजार राजसूय और सौ वाजपेय यज्ञों का फल प्राप्त होता है।
🙏 आस्था और दर्शन
- यह मंदिर भक्तों के लिए सौभाग्य और आशीर्वाद का स्थल माना जाता है।
📌 विशेष जानकारी
- यह "84 महादेव" श्रृंखला का चौदहवाँ मंदिर (14/84) है।
- यह मंदिर सिंहपुरी क्षेत्र में स्थित है, जो उज्जैन के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।